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लेखनी प्रतियोगिता -29-Oct-2022 कोई तो होगा जो आयेगा



       


            शीर्षक :-   कोई तो होगा जो आयेगा
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           सक्सैना जी अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे।  सक्सैना जी  जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने  सक्सैना जी को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी वह अपनी पत्नी  सुशीला के साथ अमेरिका गये ; परन्तु उनका मन वहाँ पर बिल्कुल नहीं लगा और वे भारत लौट आए।
             दुर्भाग्य से  सक्सैना  साहब की पत्नी को लकवा हो गया और पत्नी पूर्णत: पति की सेवा पर निर्भर हो गई। प्रात: नित्यकर्म से लेकर खिलाने–पिलाने, दवाई देने आदि का सम्पूर्ण कार्य सक्सैना जी के भरोसे पर था। पत्नी की जुबान भी लकवे के कारण चली गई थी। 

               वह पूर्ण निष्ठा और स्नेह से पति धर्म का निर्वहन कर रहे थे।
एक रात्रि   उन्होने दवाई वगैरह देकर  सुशीला को सुलाया और स्वयं भी पास लगे हुए पलंग पर सोने चले गए। रात्रि के लगभग दो बजे हार्ट अटैक से सक्सैना जी  की मौत हो गई। 
  
            पत्नी प्रात: 6 बजे जब जागी तो इन्तजार करने लगी कि पति आकर नित्य कर्म से निवृत्त होने मे उसकी मदद करेंगे। इन्तजार करते करते पत्नी को किसी अनिष्ट की आशंका हुई। चूँकि पत्नी स्वयं चलने में अस्मर्थ थी , उसने अपने आपको पलंग से नीचे गिराया और फिर घसीटते हुए अपने पति के पलंग के पास पहुँची। 

               उसने पति को हिलाया–डुलाया पर कोई हलचल नहीं हुई। पत्नी समझ गई कि वह नहीं रहे। पत्नी की जुबान लकवे के कारण चली गई थी ; अत: किसी को आवाज देकर बुलाना भी पत्नी के वश में नहीं था। घर पर और कोई सदस्य भी नहीं था। फोन बाहर ड्राइंग रूम मे लगा हुआ था। पत्नी ने पड़ोसी को सूचना देने के लिए घसीटते हुए फोन की तरफ बढ़ना शुरू किया। 

          लगभग चार घण्टे की मशक्कत के बाद वह फोन तक पहुँची और उसने फोन के तार को खींचकर उसे नीचे गिराया। पड़ोसी के नंबर जैसे तैसे लगाये और उन्होने फौन को होल्ड कर लिया और लम्बी लम्बी साँसें लेनें लगी और सोचने लगी कि कोई तो होगा जो उनकी मदद करने आयेगा। 

                   उनका  पड़ौसी बहुत ही भला इंसान था, फोन पर कोई बोल नहीं रहा था, पर फोन आया था, अत: वह समझ गया कि मामला गंभीर है। उसको मालूम था कि सक्सैना जी की पत्नी बोल नहीं सकती हैं और न चल सकती है।

           उसने आस–पड़ोस के लोगों को सूचना देकर इकट्ठा किया, दरवाजा तोड़कर सभी लोग घर में घुसे। उन्होने देखा -सक्सैना साहब पलंग पर मृत पड़े थे तथा पत्नी  सुशीला टेलीफोन के पास मृत पड़ी थी। शायद पहले सक्सैना जी की मौत हुई होगी  फिर  उनकी पत्नी की मौत हुई होगी । 

              जनाजा दोनों का साथ–साथ निकला। *पूरा मोहल्ला कंधा दे रहा था परन्तु दो कंधे मौजूद नहीं थे जिसकी माँ–बाप को उम्मीद थी। शायद वे कंधे करोड़ो रुपये की कमाई के भार के साथ अति महत्वकांक्षा से पहले ही दबे हुए थे।

लोग बाग लगाते हैं फल के लिए
औलाद पालते हैं बुढापे के लिए
लेकिन ...... 

कुछ ही औलाद अपना फर्ज निभा पाते हैं ।। 🌟अति सुन्दर कहा है एक कवि ने....

"मत शिक्षा दो इन बच्चों को चांद- सितारे छूने की।
चांद- सितारे छूने वाले छूमंतर हो जाएंगे।
अगर दे सको, शिक्षा दो तुम इन्हें चरण छू लेने की,
जो मिट्टी से जुङे रहेंगे, रिश्ते वही निभाएंगे....🌟

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा  " पचौरी "

29/10/2022

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8 Comments

Khan

01-Nov-2022 12:35 PM

Bahut khoob 😊🌸

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shweta soni

01-Nov-2022 10:07 AM

Behtarin rachana

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Punam verma

30-Oct-2022 09:10 AM

Very nice

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